भारत का रणनीतिक साझेदार बना तंजानिया, PM Modi और राष्ट्रपति सुलुहू के बीच वार्ता; बताई ये बड़ी बात…

अफ्रीका महादेश में चीन के वर्चस्व का काट खोजने में जुटे भारत को अब तंजानिया के तौर पर एक प्रमुख साझेदार मिल गया है। भारत की आधिकारिक यात्रा पर आई तंजानिया की राष्ट्रपति सुलुहू हसन और पीएम नरेन्द्र मोदी के बीच सोमवार को हुई द्विपक्षीय वार्ता में जो फैसले हुए हैं जिसका भारत पर पड़ेगा असर|

सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच रोडमैप तैयार-

दोनो नेताओं ने भारत और तंजानिया के रिश्ते को रणनीतिक साझेदारी का दर्जा देने का फैसला किया और साथ ही रक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग को प्रगाढ़ करने के लिए अगले पांच वर्षों का रोडमैप भी तैयार किया है। दोनो देशों के बीच स्थानीय मुद्रा में कारोबार की शुरुआत हो चुकी है और इसे और ज्यादा बढ़ाने की संभावना पर काम शुरू किया जा रहा है|

राष्ट्रपति सुलुहू के साथ वार्ता के बाद प्रेस कांफ्रेंस में पीएम मोदी ने राष्ट्रपति की भारत यात्रा को ऐतिहासिक करार दिया और कहा कि तंजानिया को हम एक काफी महत्वपूर्ण साझेदार मानते हैं। तंजानिया भारत का अफ्रीका में सबसे करीबी आर्थिक साझेदार देश है। अब दोनो देशों ने रणनीतिक साझेदारी शुरू की गई है| स्थानीय मुद्रा में ज्यादा से ज्यादा कारोबार करने को लेकर हम गंभीर है और इस बारे में एक समझौते को अंतिम रूप दे चुके है|

रक्षा क्षेत्र में होगा अहम विकास-

मोदी जी ने यह भी बताया कि भुगतान प्रौद्योगिक यूपीआइ की भारत में मिली सफलता को तंजानिया में भी दोहराया जा सकता है। दोनो देशों के विशेषज्ञों के बीच इस बारे में जल्द ही बैठक होने जा रही है।

अंतरिक्ष व परमाणु ऊर्जा का आम हित के लिए उपयोग को लेकर भी दोनो देश बात कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में हम एक पांच वर्षीय रोडमैप को लेकर तैयार कर रहे है। इससे सैन्य प्रशिक्षण, समुद्री क्षेत्र में सहयोग व रक्षा उद्योग में रिश्ते स्थापित होंगे।

भारत के पीएम और तंजानिया की राष्ट्रपति के बिच दोनो देशों के बीच छह अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए। ये समझौते डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन पर, जहाज निर्माण, संस्कृति व खेल जैसे क्षेत्रों में है। भारत ने तंजानिया के ज्यादा छात्रों को छात्रवृत्ति देने का फैसला किया है। बैठक में तंजानिया की राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सदस्य बनाये जाने का भी समर्थन किया है। दोनो देशों के निजी क्षेत्रों के बीच कई तरह के समझौते किये गए है|

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