पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के पहले महिला आरक्षण विधेयक का बड़ा दांव फेंका है| विधेयक को लेकर विपक्ष खुद को ठगा पा रहे है| चाहकर भी अपने समर्थन की कीमत पर पिछले 27 साल से टल रहे इस कानून का क्रेडिट मोदी के हक में जाने से रोकने की हालत में नहीं है|
महिला आरक्षण विधेयक की टाइमिंग ने इसे एक बार फिर साफ कर दिया है| यह विधेयक उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में वोटों की शक्ल में कितना फायदा पहुंचाएगा| यह तो भविष्य तय करेगा, लेकिन फिलहाल विपक्ष खुद को ठगा पा रहा है| कुछ अगर-मगर के बीच इसके समर्थन की उसकी मजबूरी है| चाहकर भी अपने समर्थन की कीमत पर पिछले 27 साल से टल रहे इस कानून का क्रेडिट मोदी के हक में जाने से रोकने की हालत में नहीं है|
गरीबों और महिलाओं के हित की योजनाएं-;
महिलाओं के एक बड़े हिस्से को मोदी ने खुद के पक्ष में कैसे खड़ा किया? इसका श्रेय उनकी सरकार की उन योजनाओं को जाता है| जो उन्होंने गरीब परिवारों के हक में बनाई और जिसका सीधा लाभ गृहणियों को मिला| 27 करोड़ जनधन खातों के जरिए मोदी समाज के उस कमजोर तबके के बीच पहुंचे, जिसका बड़ा हिस्सा एक समय मध्य वर्ग की प्रतिनिधि समझी जाने वाली भाजपा से काफी दूर था|
उज्जवला योजना ने 9.6 करोड़ परिवारों की रसोई में मोदी की उपस्थिति दर्ज करा दी| कोरोना के दौर से जारी मुफ्त राशन योजना ने निर्धन परिवारों को संदेश दिया है कि मोदी को उनकी फिक्र है| प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 1.7 करोड़ परिवारों के सिर को छत हासिल हुई| घर -घर शौचालय या फिर हर घर नल की योजना, इनके जरिए सबसे ज्यादा महिलाओं को राहत मिली है|
मोदी लगातार महिला हितों पर बोलते हैं और उनकी सरकार महिलाओं की भलाई के लिए एक के बाद एक योजना के जरिए उसे सच में बदलने की कोशिश करती दिखती है| इलाज की आयुष्मान योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, सुरक्षित मातृत्व आश्वासन, सुकन्या समृद्धि योजना, मुफ्त सिलाई वितरण, महिला शक्ति केंद्र, महिला उद्यमियों के लिए मुद्रा ऋण आदि जैसी अनेक योजनाओं की एक शृंखला है, जिसके जरिए मोदी सरकार महिलाओं को उनके हितों के प्रति सक्रिय रहने का संदेश देने में सफल रही है|