मुस्लिम देशों का संगठन OIC क्या होगा मोदी और भारत की खिलाफ

ओआईसी इस्लामिक देशों का संगठन है और इसमें सऊदी अरब का दबदबा हैपाकिस्तान के मुल्तान में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए क़ुरैशी ने कहा कि ओआईसी कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन और नागरिकता संशोधन क़ानून का प्रभावी तरीके से विरोध करे|

पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने इन मामलों को लेकर अन्य इस्लामिक देशों से सलाह की है और ओआईसी के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक का प्रस्ताव दिया है| क़ुरैशी ने कहा कि उन्हें इस मामले में सेहमति मिली है| रेडियो पाकिस्तान ने रविवार को अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ओआईसी ने भारत प्रशासित कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन और नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर एक बैठक करने का फ़ैसला किया है| बताया जा रहा है कि इस तरह की बैठक अगले साल अप्रैल में इस्लामाबाद में होगी|

ओआईसी भारत के ख़िलाफ़ जाएगा?

दूसरी और सऊदी अरब ओआईसी के ज़रिए मुस्लिम वर्ल्ड में राजनीतिक और राजनयिक प्रभाव क़ायम रखना चाहता है| अगर मलेशिया, तुर्की और ईरान की कोशिश सफल रही तो आने वाले महीनों में ओआईसी की प्रासंगिकता को गंभीर चुनौती मिलेगी. कहा जा रहा है कि मलेशिया, तुर्की, ईरान और पाकिस्तान इस समिट में जम्मू-कश्मीर पर भी चर्चा करने वाले थे|

मलेशिया और तुर्की कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में खुलकर भारत के ख़िलाफ़ बोले थे| सऊदी को लेकर पाकिस्तान के भीतर कहा जा रहा है कि भारत के साथ उसके अपने हित भी जुड़े हैं इसलिए कश्मीर मामले में वो अब नहीं बोल रहे है|

14 अगस्त को पाकिस्तान के पीएम इमरान ख़ान ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के मुज़फ़्फ़राबाद में असेंबली को संबोधित करते हुए कहा था कि कश्मीर पर दुनिया के सवा अरब मुसलमान एकजुट हैं लेकिन दुर्भाग्य से शासक चुप है|

कश्मीर पर इमरान ख़ान मुस्लिम देशों से लामबंद होने की अपील लगातार कर रहे हैं लेकिन इसी बीच मुकेश अंबानी ने घोषणा कर दी थी कि सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको अब तक का सबसे बड़ा निवेश भारत में करने वाली है|यह सऊदी की सरकारी कंपनी है और इस पर नियंत्रण किंग सलमान का है| यह घोषणा इमरान ख़ान की चाहत के बिल्कुल विपरीत थी|

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