मोदी जी, क्या आपको याद हैं वे सात वादे, “पीएम नरेंद्र मोदी ने मजबूरी में कबूली शादी..

पीएम मोदी ने 2012 के विधानसभा चुनाव में अपनी वैवाहिक स्थिति वाला कॉलम खाली छोड़ा था। तब विरोधियों ने इसे भी मुद्दा बनाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने नंबवर 2012 में मोदी द्वारा मणिनगर विधानसभा क्षेत्र से दायर नामांकन पत्र में वैवाहिक स्थिति वाले कॉलम को खाली छोड़ने के आरोप वाली पीआईएल को खारिज कर दिया था। चीफ जस्टिस पी सदाशिवम और रंजन गोगोई की बेंच ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि ऐसे मामले को चुनाव आयोग को देखना चाहिए। इस बार चुनाव आयोग ने सभी उम्मीदवारों को हलफनामे के सभी कॉलम भरने की सलाह दी थी। ऐसा न करने पर उम्मीदवार रद्द कर दिए जाने की चेतावनी भी दी| ऐसे में माना जा रहा है कि मोदी ने इस कॉलम को भरने में ही समझदारी समझी।

वडोदरा सीट के लिए दाखिल नामांकन हलफनामे में मोदी ने मान लिया कि वह शादीशुदा है और 45 साल पहले उनकी शादी जशोदाबेन से हुई थी। वडोदरा के कलेक्टर विनोद राव ने भी इसकी पुष्टि की। लेकिन, मोदी के परिवार वालों का कहना है कि दोनों के बीच कभी पति-पत्नी जैसा संबंध नहीं रहा था|

जानकारी के मुताबिक, चुनावी मौसम में मोदी के इस खुलासे से राजनीतिक हलकों में नया तूफान उठने की उम्मीद थी। मोदी के विरोधी अब इस मुद्दे पर उनके खिलाफ मोर्चा खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ा था| दिग्विजय सिंह ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। दिग्विजय ने ट्वीट कर कहा, ‘महिलाएं एक ऐसे आदमी पर भरोसा कर सकती हैं जो किसी महिला का पीछा करवाता हो और पत्नी को अधिकार से ही वंचित रखता हो।”

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