भारत के विदेश मंत्रालय ने इन लोगों को सुनाई गई सजा पर अपनी चिंता जताई है| विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार इस फैसले से स्तब्ध है लेकिन वह इस समस्या को सुलझाने के लिए सारे कानूनी रास्ते निकालेगी| क़तर की अदालत के इस फैसले को चुनौती देना और भारतीय नौसेना के इन पूर्व कर्मचारियों को मौत की सजा से बचाना भारत के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है|
इनमें कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन वीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश शामिल हैं. ये लोग एक डिफेंस सर्विसेज कंपनी के लिए काम कर रहे थे| कंपनी के लिए काम करने वाले सभी लोग भारतीय नौसेना से रिटायर हो चुके थे| क़तर में इन लोगों को पिछले साल 30 अगस्त को गिरफ़्तार किया गया था| तब से उन्हें तन्हाई कैद में रखा था| इन लोगों का मुकदमा इस साल 29 मार्च को शुरू हुआ था|
इन्हें लंबे समय तक कैद में रखने और मौत की सजा सुनाए जाने की कोई वजह बताई नहीं गई है|
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के इन पूर्व नौसैनिक अधिकारियों के परिवार वालों को भी उन आरोपों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है| जिनके आधार पर इनके ख़िलाफ़ मुकदमा चलाया जा रहा है|
पीएम मोदी पर बढ़ा दबाव-
भारत में मोदी सरकार पर इस मामले में हस्तक्षेप करने का दबाव बनाया जा रहा है| कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा है,”क़तर में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों से संबंधित अत्यंत दुखद घटनाक्रम का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बेहद जिंता जताई है|
उन्होंने बताया,”हम आशा और अपेक्षा करते हैं कि भारत सरकार कतर सरकार के साथ अपने राजनयिक और राजनीतिक प्रभाव का जितना अधिक से अधिक हो सके, उपयोग करेगी| ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिकारियों को अपील करने में भरपूर सहारा मिलेगा| साथ ही उन्हें जल्द से जल्द रिहा कराने के लिए भी हर एक संभव कोशिश की जाएगी|
अब इस बीच, एआईएमआईएम के चीफ और सांसद असद्दुदीन ओवैसी ने एक्स पर लिखा,” पीएम नरेंद्र मोदी को सभी पूर्व कर्मियों को वापस लाना चाहिए| अगस्त में मैंने कतर में फंसे नौसेना के पूर्व अधिकारियों का मुद्दा भी उठाया था| आज उन्हें मौत की सजा दे दी गई है| पीएम मोदी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि इस्लामिक मुल्क उनसे कितना प्यार करते है| उन्हें पूर्व अधिकारियों को वापस लाना चाहिए ये बेहद ही दुर्भाग्य की बात है कि उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है|