ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने की बताई असली वजह,”पीएम मोदी का साथ”, बोले ‘सीएम पद के लिए राहुल गांधी के…’

असल में साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था| इस दौरान उनके खेमे के 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जिससे कमलनाथ की अगुवाई कांग्रेस सरकार गिर गई थी| इसके बाद सिंधिया समर्थक विधायकों बीजेपी का समर्थन देने का फैसला किया था| और डेढ़ साल बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान की प्रदेश की सत्ता में वापसी हुई| बीबीसी को दिए इंटरव्यू में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी में जाने का कारण बताया| इस इंटरव्यू में सिंधिया ने कहा कि जब कांग्रेस ने साल 2018 में मध्य प्रदेश में जीत हासिल की, तो उस समय वह कभी राहुल गांधी के सामने सीएम पद के लिए नहीं अड़े और न ही वह कभी सीएम की दौड़ में शामिल हुए थे|

कुर्सी के लिए नहीं की राजनीति-

इस इंटरव्यू में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता और दादी का जिक्र करते हुए बताया “मेरी आजी अम्मा विजराजे सिंधिया और मेरे पिता माधवराव सिंधिया सहित मेरे परिवार के किसी भी सदस्य ने कुर्सी के लिए कभी राजनीति नहीं की थी| इन सभी लोगों ने हमेशा जनसेवा की भावना के साथ राजनीति की थी|” साल 2019 लोकसभा में गुना शिवपुरी सीट से हार के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद को जिम्मेदार ठहराया था| उन्होंने कहा कि मेरे अंदर कोई कमी रह गयी होगी| अगर मेरे अंदर कोई कमी है तो मैं उसमें सुधार सकता हूं| मैं खुद की कमी को स्वीकार करता हूं| केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उसके बाद उन्होंने जनता के बीच काफी काम किया है|

पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाले पर सिंधिया ने ये कहा-

मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार पर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल घोटालों का आरोप लगाते रहे| इस पर सफाई देते केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि आरोप कोई भी लगा सकता है लेकिन जांच में सबूत क्या सामने आए हैं ये ज्यादा एहमियत रखते है| उन्होंने दावा किया कि पटवारी भर्ती परीक्षा में कोई घोटाला नहीं किया गया है, ये अनियमितता का मामला हो सकता है| इस मामले में जांच के बाद संबंधित अधिकारी के बाद कार्रवाई की जाएगी, ये ऐसा मामला नहीं है जिसमें किसी की जेब में पैसा हो|

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