क्या इस बार पीएम मोदी को रोक पाएंगे राहुल गांधी?

गुजरात विधानसभा के चुनाव इसी साल के अंत में होने वाले हैं। इसमें एक तरफ चार राज्यों में एतिहासिक जीत हासिल कर जोश से लबरेज भाजपा होगी, तो दूसरी तरफ इन्हीं राज्यों में अपनी घटती हैसियत को बचाने के लिए मेहनत करती कांग्रेस होगी। क्या राहुल गांधी की टीम इस चुनाव में भाजपा को रोकने में कामयाब हो पाएगी| भाजपा पिछले चुनाव में केवल 99 सीटों पर सिमट गई थी और सामने दिख रही हार को बचाने के लिए पीएम मोदी को गुजरात में लगातार कैंप करना पड़ा था।

भाजपा की ताकत-

पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की करिश्माई जोड़ी के होने और राज्य में संगठन की मजबूती के चलते भाजपा यहां लगभग अपराजेय की स्थिति में आ गई है। लेकिन इस बार स्थिति पूरी तरह उसके विपरीत नहीं है। मोदी-शाह के केंद्रीय सत्ता में आने और आनंदीबेन पटेल के सक्रिय राजनीति से दूर होने के बाद राज्य में भाजपा के पास मजबूत स्थानीय चेहरे की बड़ी कमी है।

सीएम न बन पाने की टीस पाले नितिन पटेल और कमजोर प्रदर्शन के आधार पर सत्ता से हटा दिए गए रूपाणी भी भाजपा के लिए भितरघात कर सकते हैं। वर्तमान सीएम की छवि मजबूत नहीं है तो बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी सरकार की समस्या और बढ़ा रही है। ऐसे माहौल में यदि कांग्रेस जरा भी रणनीति के साथ मैदान में उतरी तो राज्य में उसके लिए और बेहतर संभावनाएं बन सकती हैं।

कांग्रेस की कमजोरी-

लेकिन क्या कांग्रेस इस स्थिति में है। पिछले 25 सालों में कांग्रेस भाजपा को गुजरात में मजबूत चुनौती देने में नाकाम साबित हो रही है। आज की तारीख में उसके पास अहमद पटेल जैसा खांटी राजनेता भी नहीं है जो अमित शाह की हर तिकड़म को समझते हुए उसके हिसाब से अपने प्यादे फिट कर भाजपा को रोकने के लिए मजबूत चुनौती दे सके। लंबे समय से सत्ता में न होने के कारण पार्टी के कैडर में भी कमजोरी आ गई जो उसकी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने और अपने मतदाताओं को बूथ तक लाने की भूमिका निभा सकें। ऐसे में क्या कांग्रेस के पास भाजपा को रोकने का कोई और प्लान है?

केजरीवाल की चुनौती-

नई परिस्थितियों में अरविंद केजरीवाल भी गुजरात चुनाव में मजबूती के साथ उतरने की तैयारी कर रहे हैं। नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली सफलता ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही कान खडे कर दिए थे। जिस तरह आम आदमी पार्टी खुद को गैर भाजपाई वोटरों की स्वाभाविक पसंद घोषित कर कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश में लगी हुई है वह दिल्ली और पंजाब के बाद गुजरात में उसके लिए बड़ी चुनौती साबित होती दिखाई दे रही है|

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