4 राज्यपाल को फटकार, 3 का केस पेंडिंग; कोर्ट के ‘फायरिंग रेंज’ में क्यों हैं अब मोदी सरकार के ये गवर्नर?

 

2014 यानी मोदी सरकार के आने के बाद यह पहली बार नहीं है की जब कोर्ट के फायरिंग रेंज में कोई भी राज्यपाल रहा हो. पहले भी कई राज्यपालों की भूमिका पर भी कोर्ट सवाल उठा चुकी है. कई राज्यपाल फटकार भी काफी जायदा सुन चुके हैं.

आप आग से खेल रहे हैं, और आपको अंदेशा है… सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने भी पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के कामकाज को भी कठघरे में खड़ा कर दिया था . पंजाब में लंबे वक्त से राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच सियासी द्वंद छिड़ा हुआ है.

पंजाब सरकार का आरोप भी है कि राज्यपाल संवैधानिक मर्यादाओं का पालन भी नहीं कर सकते है . पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार होती है, जो केंद्रीय सत्तारूढ़ दल के विरोध में ही थे.

इसी तरह का आरोप केरल और तमिलनाडु की सरकार भी लगा हुआ था . दोनों राज्यों ने राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल किया था . इन याचिकाओं पर 20 नवंबर को सुनवाई होगी .

राज्यपाल पद को खत्म करने की उठ चुकी है अब मांग

 

भारत में राज्यपाल एक संवैधानिक पद होता है और संविधान के अनुच्‍छेद 153 में इसके बारे में कई विस्तार से बताया गया है. इसके हिसाब से भारत गणराज्य के प्रत्‍येक राज्‍य के लिए एक राज्‍यपाल होगा. केंद्र की सिफारिश पर भी राष्ट्रपति ही राज्यपाल को नियुक्त की जाती है .

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हिसाब से राज्यपाल केंद्र और राज्‍यों के बीच सेतु की भूमिका भी निभाते हैं. राज्यपाल में मंत्रिमंडल की सलाह पर राज्य के विधेयक को भी कानून में बदलते हैं.

राज्यपाल के पास वित्तीय, विधायी, कार्यपालिका और न्यायिक की शक्तियां मिली हुई है. राज्यपाल के पास बहुमत के आधार पर सरकर का गठन भी करने, सदन बुलाने और विधानसभा भंग की सिफारिश का भी अधिकार होता है.विश्वम ने राज्यसभा में इसको लेकर एक प्राइवेट बिल का नोटिस भीजारी किया था . उन्होंने इस नोटिस में कहा था कि राज्यपाल का एक पद एक बोझ है. यह सजावटी है और इसमें कोई वास्तविक शक्ति भी नहीं है.

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